भाजपा की सूची लीक होने से हुए उम्मीदवार मायूस। गोपनीयता मात्र दिखावा था । कार्यकर्ताओं के मंसूबे पर फिरा पानी दावेदार बैठे शांत

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संपादक श्याम नारायण गुप्ता उदयपुर एक्सप्रेस

जशपुर / रविवार को केंद्रीय चुनाव समिति की बैठक के चंद घंटे बाद छत्तीसगढ़ के 40 से अधिक प्रत्याशियों की सूची लीक होने से दुर्ग ही नहीं पूरे प्रदेश में राजनीतिक भूचाल ला दी है l एक तरफ भाजपा कांग्रेस सहित राजनीतिक दलों से जुड़े लोग सोशल मीडिया में तरह-तरह की प्रतिक्रिया देकर अपनी भड़ास निकाल रहे हैं तो दूसरी तरफ कई जगह कई ऐसे जिम्मेदार नेता व जमीनी कार्यकर्ता है जो अब रहस्यमयी ढंग से चुप्पी साध लिए है और इससे ऐसा लगने लगा है भाजपा अब टिकट वितरण के मामले आत्मघाती अवस्था में जा रही हैl वास्तव में जिस प्रकार से लंबे समय से यह चर्चा चल पड़ी थी कि इस बार टिकट वितरण में पार्टी संगठन द्वारा फूंक फूंक कर कार्य करने जा रही है तथा प्रत्याशी चयन में विभिन्न स्तर पर सर्वे कार्यकर्ताओं का फीडबैक ,संभावित उम्मीदवारों की पृष्ठभूमि ,जमीनी आधार ,उनकी सक्रियता एवं जनता के प्रति उनके जुझारूपन के अलावा इस बार किसी भी नेताओ की दखल व रिश्तेदारों की नही चलने इन सब आधारो पर ही टिकट का फैसला होगा साथ ही उनका व्यवहारिक पक्ष भी प्रत्याशी चयन के फार्मूले में शामिल थे।

लेकिन प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह जैसे राजनितिक महारथियों के सहमति से पार्टी संगठन द्वारा तैयार सूची लीक होना और यदि यह सूची सही है तो साबित हो गया कि पार्टी संगठन द्वारा प्रत्याशी चयन में सर्वे से लेकर तमाम तरह की फार्मूला बताए जा रहे थे वह सब ढकोसला था कम से यह बात जशपुर ,कुनकुरी पत्थलगांव,जैसे विधान सभा में तो परिलक्षित होता दिखाई दे रहा है ।

कारण कि पत्थलगांव से जो संभावित सूची में रायगढ़ सांसद गोमती साय का नाम सामने आया है वह किसी भी स्तर पर लोगो व कार्यकर्ताओ में स्वीकार्यता दिखलाई नहीं पड़ रहा है जिसका प्रमाण अब गली मोहल्ले से लेकर चौक चौराहों व पान ठेलो में भी देखने को मिल रही है जहां राजनीति से जुड़े लोगो के आलावा आम जनता भी पूछ रही है कि संभावित सूची में जिस व्यक्ति का टिकट पक्का दिख रहा है उनका पत्थल गांव उनके ही पार्टी संगठन से लेकर आम जनता तक क्या योगदान रहा है ,कबपत्थलगांव विधान सभा कार्यकताओं के लिए सक्रिय रहे ,किन किन मुद्दों को लेकर कार्यकताओं के लिए लड़ा है, किन कार्यकर्ताओ के दुख सुख में गया है।

कोरोना माहामारी जैसे भयानक दौर में उन्होंने क्या योगदान दिया है ,पार्टी के कार्यक्रम में जन समूह के साथ दिखाई देने व जनहित के मुद्दो पर मुखर रहने वाले जमीनी नेता क्या केवल भीड़ जुटाने लायक रह गया है। इस प्रकार की तमाम बातों पर चर्चा किया जा रहा है।

तो वही कई लोग अपने वाटस ग्रुप में भी कांग्रेस के लिए वाक ओव्हर और पसंद नापसंद के साथ नाराजगी व्यक्त कर रहे है। कुछ लोग ऐसे भी है जो जशपुर,कुनकुरी पत्थलगांव, विधान सभा में भी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे है। लेकिन जशपुर कुनकुरी पत्थलगांव विधायक प्रत्याशी के रूप में पुख्ता नाम सामने आने के बाद लोग यह जरूर पूछ रहे है कि पार्टी सर्वे जैसे तमाम प्रक्रियायो के पैमाने पर उम्मीदवार उतारने की बात करने वाली पार्टी जहां कभी अपने संघर्षकाल में जैसे जमीनी कार्यकर्ता को डाक्टर बी एल भगत रोशन प्रताप सालिक साय,बेसरा,शिवशंकर साय जी को अनदेखी की गई।

वही पार्टी आज किस आधार पर इन्हे टिकट दे रही है। तब उन्हे यह पता लगता है कि उनकी विशेषता उनके लोकप्रियता नेता है और उनकी पहुंच प्रधानमंत्री से लेकर गृह मंत्री तक है जिनके बल पर ही पार्टी संगठन को झुकना पड़ रहा है तो लोग भाजपा के प्रत्याशी चयन के फार्मूला को दिखावा बताने में भी नही चूक रहे है।यही हाल भाजपा दफ्तर तक का भी है। भाजपा कार्यालय में सन्नाटा दिखाई दे रहा है यहां बैठने वाले तमाम दावेदार व सक्रिय रूप से दिखाई देने वाले पदाधिकारी कार्यकर्ता नदारद लग रहे है किंतु उनमें से किसी से मिल जाने पर पूछने से वे सभी रहस्यमयी चुप्पी साध लेते है और कुछ कार्यकर्ता यह कटाक्ष करते उठ जाते है की जिनके दम पर टिकट ला रहे है वही जिताएंगे अब जमीनी कार्यकर्ताओ का काम केवल भीड़ जुटना रह गया है । बहरहाल जशपुर जिले के तीनों सीट राजनीतिक क्षितिज में स्व .दिलीप सिंह जूदेव जैसे जमीन में कार्य करने वाले कार्यकता सब शांत दिखाई दे रहे है एक समय था की तीनों विधानसभा में जूदेव के गगन भेदी नारो से ही पूरा जशपुर हिल जाता था पर अब ऐसा नही लग रहा है।

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