कांग्रेस के 83 प्रत्याशियों के खिलाफ चुनाव आयोग में शिकायत…

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संपादक श्याम नारायण गुप्ता उदयपुर एक्सप्रेस

रायपुर : भाजपा के विधि प्रकोष्ठ ने मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी रायपुर, (छग) में शिकायत दर्ज कराई है कि कांग्रेस द्वारा घोषित अपने 83 प्रत्याशियों का अपराधिक रिकॉर्ड चुनाव आयोग में 48 घंटे के भीतर जमा नहीं किया है। जबकि उच्चतम न्यायालय द्वारा दिए गए आदेशानुसार किसी भी राजनीतिक पार्टी द्वारा अपने घोषित प्रत्याशियों का अपराधिक रिकॉर्ड 48 घंटे के भीतर चुनाव आयोग में जमा करना होता हैं। ऐसा ना करके कांग्रेस ने न्यायालय के आदेश की अवमानना की हैं।
डोंगरगढ़ : श्रीमति हर्षिता स्वामी बघेल, राजनांदगांव : श्री गिरीश देवांगन, डोंगरगांव : श्री दलेश्वर साहू, खुज्जी : श्री भोलाराम साहू, मोहला मानपुर : श्री इंद्रसाह मंडावी, अंतागढ़ : श्री रुपसिंह पोटाइ, भानुप्रतापपुर : श्रीमति सावित्री माण्डवी, कांकेर : श्री शंकर ध्रुव, केशकाल : श्री संतराम नेताम, कोन्डागांव : श्री मोहन लाल मरकाम, नारायणपुर : श्री चंदन कश्यप, बस्तर : श्री लकेश्वर बघेल, जगदलपुर : श्री जितिन जैसवाल, चित्रकोट : श्री दीपक बैज, दन्तेवाड़ा : श्री छवीन्द्र महेन्द्र कर्मा, बीजापुर : श्री विक्रम मण्डावी, कोन्टा : श्री कवासी लखमा।

सर्वाधिक मामलों के आरोपी हैं कोरबा विधायक जय सिंह अग्रवाल

अवगत हो कि इन 83 प्रत्याशियों में सर्वाधिक आपराधिक रिकॉर्ड, कोरबा कांग्रेस के प्रत्याशी जय सिंह अग्रवाल है, जिनके खिलाफ प्राप्त जानकारी के मुताबिक 20 शिकायत / प्रकरण दर्ज है और इन प्रकरणों का अवलोकन किया जाए तो 16 एफआईआर/शिकायत में सीधे विधायक जयसिंह अग्रवाल का नाम है। बावजूद इसके ना तो पुलिस किसी प्रकार कोई कार्रवाई करती है, ना ही निर्वाचन आयोग और ना ही न्यायालय खुद !! यदि इसी तरह का कोई एकाध प्रकरण किसी आम नागरिक अथवा कोई आदिवासी के साथ होता तो खाकी ऐसे दौड़ लगाता जैसे हरियाणा (थार) के मरुस्थल में उसे कुबेर के खजाने की चाबी मिल गई हो !
चुनौती : छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना को
यहाँ यह देखना होगा कि प्रदेश की जनता के भावनाओं से छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया कहकर बहला-फुसला कर वोट बटोरने वाली पार्टी या फिर छत्तीसगढ़ियों के नाम पर दंगा फसाद कर चंदा बटोरने वाली संस्था छत्तीसगढ़िया क्रांति सेना; हरियाणा के झज्झर वासी विधायक, जयसिंह अग्रवाल का कितना विरोध करते है या विरोध का नाटक कर कितना चंदा चकोरी करते हैं यह चुनौती वे किस स्वरुप में स्वीकार करते हैं।
बता दें कि विधायक जयसिंह अग्रवाल के खिलाफ घपलों-घोटालों को लेकर विगत 10 सालों में अनेक शिकायत की हुई है लेकिन कार्रवाई पर टांय टांय फिस्स। कुछ मामलों को तो लेकर कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया है जिस पर कोर्ट के संज्ञान में आने पर उनके आदेश पर साल 2014 में लाखों के फर्जी बिल घोटाले में FIR हुई, तो वहीं पिछले दिनों जमीन हेराफेरी मामले में कोर्ट ने FIR का आदेश दिया।
अब देखना यह है कि इन सबके बावजूद क्या भारत निर्वाचन आयोग ईमानदारी से अपना कार्य को अंजाम देगा या खानापूर्ति के नाम पर आदतन अपराधियों को प्रश्रय प्रदान करेगा

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