इन फसलों की खेती कर डबल मुनाफा कमा रहे किसान, कम पानी में भी बल्ले-बल्ले

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अनूप पासवान/कोरबा. कोरबा जिले के किसानों ने इस वर्ष धान के बजाय दाल और तिल की फसल लगाने पर अधिक फोकस किया है. इसकी खेती कम उपजाऊ भूमि और कम पानी वाले क्षेत्र में भी अच्छी फसल देती है. साथ ही किसानों को धान के एवज में अधिक लाभ देता है.

दरअसल, इस बार जिले में धान का घेरा घटा है. साथ ही, अब तक खेती के अनुकूल बारिश भी नहीं हुई है. ऐसे में कृषि विभाग ने जिले में पारंपरिक खेती के बजाए अधिक आमदनी देने वाली दाल और तिल की खेती पर जोर दिया है. इसके लिए विभाग ने जिले के पांचों ब्लॉकों में इस वर्ष 1 लाख 34 हजार 940 हेक्टेयर जमीन पर फसल लगाने का लक्ष्य रखा है. जिसके 16200 हेक्टेयर पर दाल और 4200 हेक्टेयर पर तिल की फसल लगाने का लक्ष्य है.

इसी लक्ष्य को पूरा करने विभाग प्रचार-प्रसार कर किसानों को दलहन और तिलहन की खेती के लिए प्रेरित किया. जिसके बाद किसानों के खेतों में पारंपरिक धान की खेती के बदले दलहन और तिलहन की खेती नजर आ रही है.

90 से 140 दिन में तैयार होती है ये फसल 

कृषि विभाग के सहायक संचालक ने दाल और तिल के फसल का लाभ बताते हुए कहा की 90 से 140 दिनों में तैयार ये कम उपजाऊ वाली भूमि और कम पानी वाले क्षेत्र में अधिक उत्पादन वाले फसल हैं. जिससे किसानों को अधिक लाभ मिलता है.

मानसून पर करती है निर्भर

कोरबा जिले में सिंचाई का घेरा केवल 27 प्रतिशत है. बाकि पूरी फसल मानसून पर निर्भर करती है. ऐसे में कम बारिश में पारंपरिक फसल में बदलाव कर दलहन और तिलहन की खेती कर नुकसान से बचने का प्रयास करना किसानों का अच्छा निर्णय है.

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