आस्था विश्वास स्वच्छता का प्रतीक है छठ महापर्व

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संपादक श्याम नारायण गुप्ता उदयपुर एक्सप्रेस

पत्थलगांव पत्थलगांव, बिहार ,झारखंड, उत्तर प्रदेश ,में मनाया जाने वाला प्रमुख छठ महापर्व का उल्लास पिछले 50 वर्षों से पत्थलगांव में भी होने लगा है ।पहले छठ महापर्व को सादगी से मनाया जाता था । कुछ ही परिवार के लोग इसमें शामिल होते थे । लेकिन बीते कुछ वर्षों से भव्य आयोजन होने लगा है किया पुरान तालाब, रानीगंज तालाब , किलकिला नदी एवं आमा नाला में बीते कुछ वर्षों से भव्य आयोजन होने लगा है लगभग दस हजार श्रद्धालु एकत्रित होते हैं ।भोजपुरी समाज के वरिष्ठ अध्यक्ष अभय सिंह

बताते हैं । कि चार दिवसी पर्व के आखिरी दो दिन तालाब नदी घाट में हजारों लोग भक्ति भाव से डूब जाते हैं। आस्था का विश्वास ऐसे ही लहर बहती है। पूरी रात जागरण में पारंपरिक छठ लोकगीतों के और लहरिया गूंजती है । अस्त होते सूर्य और उगते सूर्य को अर्क देने के दौरान आतिशबाजी का नजारा देखने लायक होता है । शहर के विभिन्न छठ घाटों में भंडारे स्वरूप चाय जलपान ठेकुआ प्रसाद भोजन ग्रहण करने के लिए लगभग हजारों से अधिक श्रद्धालु उपस्थित रहते हैं। पहले छत पर्व मनाने से ज्यादातर लोग अपने मूल गांव लौट जाते थे। जो लोग किसी कारण वश अपने गांव नहीं

जा पाए वह अपने घर के आसपास के तालाब में ही अर्थ देते हैं । समय बीतने के साथ सैकड़ो परिवारों स्थाई रूप से यहां बस गए उन परिवारों के सदस्यों ने 50 साल पहले पत्थल गांव के अन्य वार्डों में निवास रत लोग है धीरे-धीरे समाज के लोग संगठित होते गए अब 50 सालों से सबसे बड़ा आयोजन पत्थलगांव पुरान तालाब गा ला रोड आमा नाला के आसपास रहने वाले लोग भी घाट पहुंच कर पर्व का आनंद उठाते है।

भोजपुरी समाज के अध्यक्ष ने बताया की चार दिवसीय छठ महापर्व का शुभारंभ शुक्रवार को नहाए खाए परंपरा निभाने के साथ शुरू हुआ पत्थलगांव में निवासरस्त उत्तर भारतीय समाज के परिवारों में सुबह स्नान करके छठ एवं पक्ष से मनाने का संकल्प लिया शाम को लौकी की सब्जी और रोटी का सेवन करने की रस्म निभाई शनिवार को दूसरे दिन करना रस शुद्धता का अर्थ गया छठ महापर्व स्वच्छता का सबसे बड़ा प्रतीक है प्राचीन काल से पर्व के माध्यम से स्वच्छता का संदेश दिया जा रहा है। पूजन करने और प्रसाद तैयार करने में शुद्धता का विशेष ध्यान रखा जाता है । सूर्य भगवान और छठी माता को भोग अर्पित किया जाता है ।पर्व के दूसरे दिन लोहाना एवं खरना की रस 18 दिसंबर को निभाई गई। पूरे परिवार के सदस्य दिन भर व्रत रख रात्रि की खीर रोटी खाने की परंपरा को निभाया फिर रोटी का सेवन करके निर्जला व्रत रखने का संकल्प लिया।

सूर्य देव और बहन छठी मैया की पूजा

कार्तिक शुक्ल पक्ष की छठी तिथि पर छत पर मनाया जाता है इस दिन भगवान सूर्य देव और उनकी बहन छठी मैया की पूजा करने का विधान है छठ व्रत के अनुष्ठान अत्यंत कठिन है निर्जला व्रत रखकर कड़कती ठंड के मौसम में नदी के किनारे कमर भर पानी में डूब कर पूजा अर्चना करना पानी की एक बूंद ना पीना ब्रह्मचर्य का पालन करना जमीन पर सोने जैसे नियमों का पालन करना पड़ता

समाज के युवकों ने आज विशाल बाइक रैली निकालकर पत्थल गांव के तीनों रोड पर अपने छठी मैया का जयकारा लगाते हुए छठी माई पूजा का आम जनता को संदेश दिया

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